Thursday, August 26, 2010

Syedi Fakhruddin Shaheed History-Part 3 (Hindi Version)

Syedi Fakhruddin Shaheed History-Part 1
Syedi Fakhruddin Shaheed History-Part 2 (Hindi Version)
बाबजी के कब्र के एक पाषण (पत्थर) ने गलियाकोट के अनेक पाषाणों (पत्थरो) को खड़ा कर दिया पत्थर से पत्थर मिले, और बाबजी की मज़ार ही नहीं बनी, बल्कि एक छोटा-मोटा गॉव का रूप स्वरूप बनता बदलता हुआ चला आया वर्त्तमान में इस स्थल पर खड़े आधुनिक भवन उनकी ताज़ी स्मृति को ताजा कर देते हे |
कहते हे की जब सय्येदी फखरुद्दीन राजस्थान राज्य के डूंगरपुर नामक जिले के सागवाडा कस्बे में आ रहे थे, उस समय इन पर डाकुओ ने अचानक हमला कर दिया|  इस मुडभेड में उनके लगभग सभी साथी मारे गए सिर्फ यही बचे थे,इतने में नमाज़ अदा करने का समय हो गया, आपने मगरिब की नमाज़ पढ़ी जब आप नमाज़ पढ़ चुके, तब पीछे से डाकुओ ने पुनः उन पर हमला कर दिया
जब गलियाकोट के आपके अनुयायियों ने यह बात सुनी, सभी लोग तुरंत घटनास्थल पर पहुचे लेकिन अनुयायियों के पहुचने से पूर्व ही स्य्येदी फखरुद्दीन शहीद हो चुके थे इस्लाम के रिवाज़ के मुताबिक़ बड़े सम्मान के साथ आपकी इसी घटनास्थल पर दफनाया गया उसी जगह आज सय्येदी फखरुद्दीन शहीद की कब्र हे |
कहा जाता हे कि जो कोई यात्री आपकी कब्र कि जियारत के लिए आते थे, वे अपना नाम, वंश, और अपने गॉव का नाम मस्जिद या कुब्बे में लिखा दिया करते थे| मज़ार कि दीवारों पर महान व्यक्तियों के द्वारा सय्येदी फखरुद्दीन शहीद कि मह्हता व प्रशंसा में लिखी अनेक पंकित्य थी |
इसी तरह दाऊदी वंश के महान वाली और दाइयो के हस्ताक्षर जो उन दीवारों पर पाए गए उनमे से कुछ प्रख्यात नाम इस प्रकार हे :

सय्येदना इस्माइल बदरुद्दीन
सय्येदना शेख आदम सफिउद्दीन
सय्येदी अब्दुल्कादर नजमुद्दीन
सय्येदी शेख शुजाउद्दीन
शेख लुकमान जी

सय्येदी जीवाभाई वल्द सय्येदी लुकमान जी के शब्द हे कि " मैने स्यवं मज़ार में किये गए उल्लेख को देखा व पढ़ा है, किन्तु कुछ समय बाद मज़ार के जीर्णोद्धार कार्य में दीवारों पर अंकित पंक्तिया नष्ट हो गयी |इस प्रकार बाबजी कि प्रसिद्धि सब जगह फ़ैल गयी स्य्येदी फखरुद्दीन शहीद
के निधन कि घटना का समय आज से लगभग ९०० वर्ष पूर्व माना जा सकता है |